एक टुकडा आसमाँ का

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एक टुकड़ा आसमाँका चाहिये मुझ को मेरा, अपना हिस्सा चाहिये

एक दिल है और लाखों ख़्वाहिशें क्या बताऊं, मुझको क्या क्या चाहियें

दिल किसी पर पहले आना चाहिये क्या करू दुनिया की दौलत माँग कर दिल को बस तेरा सहारा चाहिये

कुछ नज़ाकत वक़्त की भी देख कर बीती बातों को भुलाना चाहिये प्यार क्या है, ये समझने के लिये.

लेखक : विश्वजित तुळजापूरकर / Vishwajit Tuljapurkar
प्रकाशक : शब्दालय प्रकाशन / Shabdalay Prakashan
पाने : 64
किंमत : रु. 75